कुछ ही दिन हुए थे अभी आश्रम और विद्यालय की दिनचर्या में व्यवस्थित हुए कि एथलेटिक्स आ गए। दो हफ्ते में अंतर आश्रमवर्गीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता , और हम सबों को भी भाग लेना था। हमारा सेट एथलेटिक्स में ऊपर रहता था और आश्रम के वरिष्ठ छात्रों ने फरमान हाँक दिया था , सबों को पांच प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना है.
शाम के खेल के घंटे में आजमाईश शुरू हो गयी। एक सीनियर हमें सौ मीटर की दौड़ के लिए ले गए , हम दौड़े तो , पर पीछे से तीसरे चौथे स्थान पर आने के कारन उसमें भाग लेना संभव न था। फिर इसी तरह लम्बी कूद , पोल वॉल्ट , चार सौ मीटर , भाला फेंक , शॉट पुट , डिस्कस थ्रो , पंद्रह सौ मीटर की दौड़ वगैरह के ट्रायल हुए।
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