माताजी मिसेज़ वासुदेवन के निधन का समाचार सुनकर हम सभी बहुत दुखी हैं। बावजूद इसके कि हम में से कई लोग अब जीवन के उस पड़ाव पर हैं जब ऐसे समाचार कोई आश्चर्य की बात नहीं रह जाते हैं।व्यक्तिगत रूप से उनसे कोई २५ वर्ष पूर्व पूर्णिया में मिला था, नेतरहाट छोड़ने के क़रीब १५ साल बाद। श्रीमानजी ने अपने दोनों